Published Nov 15, 2020
2 mins read
401 words
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Paranormal (or) Supernatural

Life Is Scattered Like This...

Published Nov 15, 2020
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जिन्दगी जाने कहाँ उलझी पड़ी है, कहीँ से भी खुशी की झलक नहीं दिखाई पड़ती, दिखाई पड़ती हैं तो सिर्फ जिम्मेदारियां, और जिम्मेदारियों के बोझ तले दबी हुई खुद मैं। समझ में नहीं आता क्या हो रहा है , क्या होना है , ।

कभी दिल बहुत समझदार हो जाता है एकान्तभाव से वर्तमान में रहता है, किन्तु कभी बिखर जाता है तो सम्भाले नहीं संभलता, इतने विचार एक साथ तूफ़ान बनकर उठते हैं कि समझ ही नहीं आता किस तरफ जाना है ।

 

कभी सब जानकर बहुत खुशी से मेरा साथ देता है, समय के साथ परिस्तिथियों से लड़ने को पूरी तरह तैयार होता है, पूरे जोश के साथ कैसी भी मुश्किल से लड़ जाने को उत्साह से भरा होता है, किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश में जी जान लगा देने का सामर्थ्य दिखाता है और कभी बुरी तरह टूटकर बिखर जाता है ।

 

कभी भर जाता है जिम्मेदारियों के बोझ से तो आजाद होने को बेचैन हो जाता है ,कभी मजबूत बन जाता है फर्क़ नहीं पड़ता कोई नाराज हो खुश हो और मजबूत बनकर भी रोने बैठ जाता है ।

 

कभी अहसासों का गुलाम बन जाता है ,तो कहना चाहता है किसी से सारी बातें,कोई हो जो समझे, सुने मेरे दिल की, माँगता है अपना है अपना हक़ , याद दिलाता है कि बहुत कुछ छूटा है बहुत कुछ होना चाहिए था सभी की तरह, फिर याद करता है ऐसा तो होना नामुमकिन है किसी से उम्मीद करना तो बेकार ही है उम्मीदें अक्सर टूट जाती हैं,  तू अपने में ही रह ।

कभी देखता है दीन दुखी को , किसी अपंग व्यक्ति को देखकर, किसी भूखे बूढ़े व्यक्ति किसी भिखारी किसी बच्चे को देखकर उनके लिये कुछ करने को बेचैन हो जाता है, किसी बिखरी पड़ी जिंदगी को देखकर रात रात भर सो नहीं पाता, उनके लिए कुछ करने को उतबला हो जाता है । 

कभी देखता है दुनिया को दुखी होता है, कभी नाराज होता है खुदा से उजड़ती जिंदगियां देखकर ,कभी मतलब नहीं रखना चाहता बुरी दुनिया की रिवाजों से,  तो कभी चला जाना चाहता है कहीँ कहीं अकेले में, जहाँ  ना कुछ पाने की ख्वाहिश हो और ना ही कुछ खोने का डर ।

डर जाता है समाज के बुरे रिवाजों से, जहाँ एक औरत के लिए हजारों बन्धन, मान्यतायें, अन्धविश्वास बने पड़े हैं, छोड़ देना चाहता है इस बुरे समाज से रिश्ता, चले जाना चाहता है बहुत दूर, किन्तु कहाँ नहीं मालूम ।

 

कुछ इस तरह से बिखरी पड़ी है जिन्दगी । 

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