आज भारत लगभग एक विकसित देश बन चुका है, हम कई मामलों में जापान , चीन और रूस जैसे देशों से पीछे हैं किन्तु फिर भी हम कई देशो से आगे भी हैं, देश की सबसे बड़ी तीसरी सेना हमारे पास है बाकी कई आँकड़ो में भी हम अन्य देशों के बराबर हैं ये सभी तथ्य हमारे लिये हमारे देश के विकसित देशों की श्रेणी में होने के उदाहरण हैं ।
किन्तु हमारे देश में महिलाओं की स्थिति प्राचीन काल से ही विचारणीय तथ्य रहा है जो कई मामलों में आज भी है । प्राचीन काल से ही महिलाओं को पुरुषों के बराबर का अधिकार नहीं दिया गया उनके लिए शिक्षा आदि का अधिकार नहीं था ।महिलाओं को लेकर काफी सारी कुरीतियां और अन्धविश्वास बना रखे थे , महिलाओं के लिए बड़े कठिन नियम नियम बनाये गए थे जिनका उन्हे पालन करना पड़ना था ।
राजा राम मोहन राय जी जिन्हें आधुनिक भारत का जनक कहा जाता है महिलाओं की शिक्षा के लिये बहुत योगदान दिया, आज हमारे देश में महिलाओं को बहुत सारे अधिकार प्राप्त हैं, नौकरियों में भी महिलाओं को आरक्षण प्राप्त है किन्तु आज भी महिलायें शिक्षा से वंचित हैं क्योंकि समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता की कमी है ।
गावों में लड़कियों की शिक्षा के लिये आज भी ये धारणायें बनी हुई हैं कि लडकियों को घर चलाने में शिक्षा की कोई आवष्यकता नहीं है ।अशिक्षा के कारण अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं होने कारण ही महिलायें हमारे देश में उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं ।
महिलाओं को उत्पीडित करने के लिए समाज जिम्मेदार है, आज भी गरीब स्त्रियों को लड़कियों को अन्य राज्यों से लाकर बेच दिया जाता है, स्त्री को लाते समय बदल दिया जाता है स्त्री की भावना की कोई कद्र नहीं करता, स्त्रियों को केवल लड़का पैदा नहीं होने के मारा पीटा जाता है, दहेज तो एक आम बात हो गई है ।
इन ऐसी समस्याओं को दूर करने के लिए के लिये क्या उपाय हो सकता है ये समझ नहीं आता, आज हर व्यक्ति इतना स्वार्थी है कि सभी को अपनी ही फिक्र है, शिक्षक हो या नेता सबको अपना ही पेट भरना है।
गाँवों में शिक्षक भी शिक्षा देने के लिये नहीं बल्कि बस खानापूर्ति के लिये ही जाते हैं, बच्चों मे शिक्षा के लिये कोई जागरूकता दिखाई नहीं देती ।
शिक्षक से बड़ा कोई नहीं होता अगर वो अपनी पूरी भावना से छात्र को शिक्षित करे किन्तु हमारे देश का दुर्भाग्य है कि हमारे देश के लोगों में अपने कार्य के प्रति भक्ति की भावना नहीं है, यही कारण है कि बड़े घर के लोग अपने बच्चों को प्राइवेट में पढ़ाते हैं और उनके बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में अच्छे हो जाते हैं और गरीब घरों के बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं, उन बड़े घरों के बच्चों में जो अच्छी खासी सुविधाओं में पले बढ़े हुए होते हैं आगे जाकर वो सरकारी अफसर बनते हैं तो उन्हें गरीबों की समस्याओं को समझने की समझ नहीं होती ।
मेरा निष्कर्ष यह कहता है कि हमारे देश में शिक्षा के साथ ही उस व्यवहारिक और नैतिक मूल्यों की शिक्षा की आवष्यकता है जो हमें इन्सान होना सिखाती है दूसरों की मदद करना सिखाये, हमारे अंदर से स्वार्थ को निकालकर सभी के बारे में सोचने पर मजबूर कर दे, ताकि हमारे देश के गरीब बच्चों और नागरिकों को उनका हक मिल सके।