भोजन मानव शरीर की प्रथम आवश्यक्ता है ,भोजन के बगैर हमारा शरीर दुर्बल हो जाएगा और हम मृत्यु को प्राप्त हो जायेंगे । देश और दुनिया भर में गरीबी एक अभिशाप बनी हुई है,जाने कितने लोग भोजन की व्यवस्था ना हो पाने के कारण दुनिया छोड़ देने को मजबूर हो जाते हैं । हमने देखा होगा हमारे देश में जहाँ संपन्नता है वहाँ लोग विवाह आदि कार्यक्रमों में कितना धन व्यर्थ गंवा देते हैं और साथ ही भोजन की बर्बादी भी अधिक मात्रा में करते हैं,यदि हम उस भोजन को किसी ज़रूरतमंद को दे दें तो उसकी ज़रूरत पूरी हो जाये । आपने बहुत से गरीब बच्चों सडकों पर घूमते देखा होगा, सडकों पर घूमना कोई उनका शौक नहीं होता वो उनकी मजबूरी होती है, उनकी असली जगह स्कूल है वो सड़क नहीं ।
मैं आपको उस किसान की तस्वीर दिखाती हूँ ,जिस भोजन को आप लोग इतनी आसानी से कचरे में फेंक देते हैं बो कितनी मेहनत से कोई तैयार करता है ।
किसान उगते सूरज से पहले ही अपने घरों से बाहर निकल जाता है और तपती धूप में भी बो उस सूरज के आगे घुटने नहीं टेकता जिसकी गर्मी में आप एसी-कूलर में बैठते हैं । जब आप घर में टेबल- कुर्सी पर बैठकर खाना खा रहे होते हैं तब किसान महिलायें अपने पति के लिये खेतों पर ही धूप और गर्मी में खाना लेकर जाती हैं ।
किसान परिवार के बच्चों के लिये कभी सुनने को लोरी नहीं मिलती ,खेत में दूर-दूर से बहकर आने वाली हवा पत्तों से टकराकर जो ध्वनि उत्पन्न करती है बही उन बच्चों के कानो में सँगीत का काम करती है ,किसानों के बच्चों के लिये गुदगुदे तकिये नही मिलते खेतों की मेड़ ही उनका तकिया होती है । किसान महिलायें आप लोगों की तरह हर हफ्ते चेहरों पर मसाज करवाने ब्यूटी पार्लर नहीं जाती तपती गर्मी में पसीना माथे से बहकर टपक जाता है और चेहरे धूप से झुलस जाते हैं ।
उनके बच्चे भले ही छोटे घरों और कम आवश्यकताओं में पले होते हैं परन्तु वो आपस में झगड़ते नहीं मिल-जुलकर उनकी सहयता करते हैं,जिम्मेदारियां उन्हें आबारगी नहीं करने देतीं।
हम उस भोजन का निरादर केसे कर सकते हैं जो हमारे जीवन की पहली आवश्यकता है, जिस अनाज को उगने में किसी का बचपन ,किसी का यौबन और बुढापा तक गुजर जाता है । हमें अपने अपनों को इस बात से अवगत कराना चाहिए और भोजन की बर्बादी को रोकने में अपना योगदान देना चाहिए
(प्लीज लाइक ऐण्ड सपोर्ट मी)