नागा (बर्मी : နာဂ, अंग्रेज़ी: Naga) भारत की एक प्रमुख जनजाति हैं। इनका निवास क्षेत्र भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र व म्यांमार के पश्चिमोत्तर क्षेत्र में है। भारत में ये नागालैंड राज्य में बहुसंख्यक है। 2012 में यहाँ पर इनकी संख्या 17 लाख दर्ज की गयी। इसके अलावा ये मणिपुर, असम, अरुणाचल प्रदेश में भी इनकी अच्छी खासी जनसंख्या है।
नागा
Naga
कोन्याक नागा अपनी पारंपरिक पोशाक में
कुल जनसंख्या
20 लाख
ख़ास आवास क्षेत्र
नागालैंड
असम
अरुणाचल प्रदेश
मणिपुर
नागा स्वायत्त क्षेत्र (म्यांमार)
भाषाएँ
धर्म
वही म्यांमार में ये जनजाति कुछ क्षेत्रों में बहुसंख्यक है। वहाँ पर इनके इलाकों को स्वायत्त क्षेत्र घोषित किया गया है जहाँ का प्रशासन ये खुद ही सँभालते हैं। इन इलाकों को नागा स्वायत्त क्षेत्र कहा जाता है।
१८७० में नागा जनजाति के व्यक्ति
ब्रिटिश काल से पहले तक इनका बाहरी दुनिया से कोई भी सम्पर्क नहीं था। १८२८ तक असम ब्रिटिश शासन के कब्जे में आ गया। परन्तु नागा जनजाति लगातार असम के सीमावर्ती क्षेत्रों में आक्रमण करती रहती। १८४५ में नागा सरदारों के साथ अंगेजों का समझौता हुआ जिसके तहत नागा आक्रमण बंद करने पर राजी हो गए। लेकिन उसके बाद समझौते का उल्लंघन होता रहा।[1]
१८५१ में अंगेजों ने इस क्षेत्र (नागालैंड) में अपनी सेना टुकड़ियां तैनात कर दी। परन्तु १८७८ में अंगमी नागाओं ने अंग्रेज़ी कैम्पों पर फिर से छापे मारे। इसका जवाब अंग्रेज़ों ने दृढतापूर्वक दिया और कई नागा गावों में आग लगा दी
१९०५ में नागा जनजाति के व्यक्ति
१९ वी शताब्दी के अन्त में यहाँ ईसाई मिशनरियां आई और बहुत से नागाओं का धर्म परिवर्तन किया। अतः इन मिशनरियों ने इनके रहन सहन को प्रभावित किया। अतः मिशनरियों ने इनके सामाजिक और सांस्कृतिक रूप को बदल डाला।[2]
आज लगभग ९५% नागा ईसाई
अंगमी जपू फिजो ने नागाओं के संघर्ष के लिए नागा नैशनल काउंसिल का गठन किया जिसका उद्देश्य अलग नागा राज्य था। जून १९४७ में नागा नैशनल काउंसिल का अंग्रजों से ९ सूत्री समझौता हुआ परन्तु अनेकों नागाओं ने इसका विरोध किया।[3]
ब्रिटिश राज के अन्तिम दिन १४ अगस्त १९४७ को नागा नैशनल काउंसिल ने नागालैंड की स्वतंत्रता घोषित कर दी। मई १९५१ में नानेका (नागा नैशनल काउंसिल) ने दावा किया कि अलग नागालैंड के लिए उसके द्वारा कराये गए जनमत - संग्रह में ९९% लोग उसके साथ है। पर १९५२ में भारत सरकार ने उसका दावा ख़ारिज कर दिया। नागा अब भारत के ख़िलाफ़ गुरिल्ला मूवमेंट चलाने लगे। परन्तु भारत सरकार ने उसका विद्रोह दबा दिया। बाद में फिजो लन्दन भाग गया और वहाँ से यह अभियान अपनी मृत्यु तक चलाया।[4]
इनकी प्रमुख भाषा कुकी-चिन-नागा भाषाएँ है। इसके अलावा इन्होने क्रियोल भाषा का भी विकास किया जिसका ये प्रयोग आपस में बातचीत करने में करते हैं।
एक नागा योद्धा
पारंपरिक रूप से नागा गावों में रहते हैं। इनका मुख्य धंधा शिकार है। ये जंगली जानवरों का शिकार करते हैं। ये अपने घर बास से बनाते हैं। ये योद्धा जनजाति है। इनकी वीरता को ही देख परखकर इनकी शादी होती है।
स्त्रियों की दशा भी इस जाति काफी अच्छी है। इन्हें पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त है।
लगभग ९५% नागा ईसाई है। कुछ नागा समूह सर्वात्मवादी भी है।