Motivation:
*दिमाग़ के बिना गधा *
किसी जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे, इस जंगल में एक शेर भी था, शेर ने एक लोमड़ी को अपना सहायक बनाया हुआ था, अपने शिकार में से वह थोडा सा हिस्सा लोमड़ी को भी दे दिया करता था, एक दिन शेर का मुकाबला हाथी से हो गया, हाथी ने बहुत बुरे तरीके से शेर को घुमाया और बहुत दूर फैंक दिया, शेर को बहुत सी चोटें आईं जिस से वह शिकार करने के काबिल नहीं रहा, भूखों मरने की नौबत आ गई, शेर के साथ साथ लोमड़ी भी भूखी ही रह गई,
एक दिन शेर ने लोमड़ी से कहा कि तुम बहुत चतुर हो क्यों न तुम किसी जानवर को अपने साथ यहाँ तक ले आती ? यहाँ लाने के बाद में उसे मार गिराऊंगा और हमारे भोजन का इंतजाम हो जाएगा, लोमड़ी ने कहा ठीक है, लोमड़ी जंगल में किसी मूर्ख जानवर को ढूढने चल पड़ी, बहुत दूर जाने के बाद
उसे एक मूर्ख गधा चरता हुआ दिखाई दिया, उसने सोचा इसी को पटाना चाहिए, वह गधे के पास गयी और उसको लालच देते हुए बोली आप यहाँ क्या कर रहे हैं यहाँ तो कोई हरी घास चरने को नहीं है, आप लोग कितने कमजोर हैं , गधे को पहली बार किसी ने इतने मीठे शब्दों में बोला था,
तो गधे ने जवाब दिया लोमड़ी बहिन अब में तुम्हें क्या बताऊ मेरा मालिक जरुरत से जादा बोझ मेरे ऊपर लादता है और पेट भर कर खाना भी नहीं देता है, लोमड़ी ने उसके साथ सहमति जताते हुए कहा कि क्यों न तुम मेरे साथ जंगल में चलो वहां तो बहुत सारी हरी घास है, इसपर गधे ने कहा वहां जंगल में बहुत सारे शिकारी जानवर भी तो हैं, यह सुनते ही लोमड़ी सावधान हो गई और बोली तुम्हें किसी भी जंगली जानवर से डरने की जरुरत नहीं है, तुम जानते हो मुझे यहाँ जंगल के राजा शेर ने भेजा है,
शेर चाहता है कि आदमी के सताए हुए सभी जानवरों को जंगल में शरण दी जाए, उन्हों ने तो तुम्हें मंत्री बनाने का भी फैसला किया है, इस बात को सुन कर गधा बहुत खुश होया और लोमड़ी के साथ जंगल को चल दिया, बहुत दिनों से भूखा होने पर जैसे ही गधा शेर के सामने गया शेर उस पर कूद पड़ा, गधा डर गया और वहां से भाग खड़ा हुआ, बेचारा शेर फिर भूखा रह गया, लोमड़ी ने शेर ने कहा आप ने इतनी जल्दी क्यों हमला कर दिया उसको अपने नजदीक तो आने देना था, कोई बात नहीं में गधे को दुबारा यहाँ ले आती हूँ, आप चिंता मत करें, यह कहते हुए लोमड़ी गधे के पीछे भागी,
शेर ने एक लम्बी साँस ली और सोचने लगा गधा दुबारा यहाँ क्यों आएगा, जैसे ही लोमड़ी गधे के पास पहुंची उसने उसको विस्वास दिलाते हुए कहा जंगल का राजा तुम्हारे स्वागत के लिए आगे आया और तुम वहां से भाग खड़े हुए, मुझे यह बताओ कि अगर राजाने तुम्हें मारना ही होता तो क्या तुम अपने प्राणों को बचा पाते राजा तुम्हें एक ही पंजे से ख़तम कर सकता था, अब आओ तुम्हारे पास एक मौका है मंत्री बन ने का, में भी तुम्हारी सिफारिस करूँगा राजा तुम्हें मंत्री बना देंगे, यह सुनते ही गधा फिर शेर के पास जानेको तयार हो गया, इस बार शेर ने गधे को बहुत नजदीक आने दिया, नजदीक आने पर शेर ने एक पंजा मारा गधा मर गया, इसके बाद शेर ने लोमड़ी से कहा यहाँ बैठ कर इसकी रखवाली करो तब तक में नहा आता हूँ, नहाकर इसे खाएंगे, लोमड़ी बहुत भूखी थी उसने चुप करके गधे का दिमाग निकला और खागई , कुछ देर बाद शेर नहाके आया उसने देखा कि गधे का दिमाग गायब है, उसने गुस्से में आकर लोमड़ी से कहा ये लोमड़ी मुझे इस गधे का दिमाग दिखाई नहीं दे रहा है यह कहाँ गया, लोमड़ी ने चतुराई से कहा राजा जी अगर इस गधे के पास दिमाग होता तो क्या यह मरने के लिए हमारे पास आता इस गधे के पास तो दिमाग ही नहीं था।
दोस्तो,समय पर किसी समस्या का हल कर लिया जाये। तो समस्या का हल सम्भव है।नही,तो समस्या विकरार रूप धारण कर लेती और फिर उसका हल किया या न किया ,कोई मतलब नही रहता।
🌺 सुप्रभात संदेश 🌺
विचारों को वश में रखिये,
"वो तुम्हारें शब्द बनेंगे",
शब्दों को वश में रखिये,
"वो तुम्हारें कर्म बनेंगे",
कर्मों को वश में रखिये,
"वो तुम्हारी आदत बनेंगे",
आदतों को वश में रखिये,
"वो तुम्हारा चरित्र बनेगा",
चरित्र को वश में रखिये,
"वो तुम्हारा भाग्य बनेंगे"
आज ही शुरुआत करें,
एक कदम सफ़लता कि ओर
अपने विचारों को वश में रखकर।
गीता के आदर्शों पर चलकर मनुष्य न केवल खुद का कल्याण कर सकता है, बल्कि वह संपूर्ण मानव जाति की भलाई कर सकता है
1- क्रोध पर नियंत्रण ...
2 नजरिया से बदलाव ...
3- मन पर नियंत्रण आवश्यक ...
4- आत्म मंथन करना चाहिए ...
5- सोच से निर्माण ...
6- कर्म का फल ...
7- मन को ऐसे करें नियंत्रित ...
8- सफलता प्राप्त करें
@achchibate
एक बार किसी ने स्वामी विवेकानंद जी से पूछा:
सब कुछ खोने से ज्यादा बुरा क्या है?
स्वामी जी ने जवाब दिया:
उस उम्मीद का खो देना जिसके भरोसे
हम सब कुछ वापस पा सकते हैं।
@achchibate
विधि का विधान
*श्री राम का विवाह और राज्याभिषेक दोनों शुभ मुहूर्त देख कर किया गया। फिर भी न वैवाहिक जीवन सफल हुआ न राज्याभिषेक।*
और जब मुनि वशिष्ठ से इसका जवाब मांगा गया तो उन्होंने साफ कह दिया।
*"सुनहु भरत भावी प्रबल, बिलखि कहेहूं मुनिनाथ।*
*लाभ हानि, जीवन मरण, , यश अपयश विधि हाँथ।।"*
अर्थात, जो विधि ने निर्धारित किया है वही होकर रहेगा।
*न राम के जीवन को बदला जा सका, न कृष्ण के।*
*न ही शिव सती की मृत्यु को टाल सके,जबकि महामृत्युंजय मंत्र उन्ही का आवाहन करता है।*
*न गुरु अर्जुन देव जी और न ही गुरु तेग बहादुर जी और दश्मेश पिता अपने साथ होने वाले विधि के विधान को टाल सके जबकि आप सरब समर्थ थे।*
*रामकृष्ण परमहंस भी अपने कैंसर को न टाल सके।*
*न रावण अपने जीवन को बदल पाया न कंस। जबकि दोनों के पास समस्त शक्तियाँ थी।*
मानव अपने जन्म के साथ ही जीवन मरण, यश अपयश, लाभ हानि, स्वास्थ्य, बीमारी, देह रंग, परिवार समाज, देश स्थान सब पहले से ही निर्धारित कर के आता है।
साथ ही साथ अपने विशेष गुण धर्म, स्वभाव, और संस्कार सब पूर्व से लेकर आता है।।
*इस लिए यदि अपने जीवन मे परिवतर्न चाहते हैं, तो अपने कर्म बदलें। आप की मदद के लिए स्वयं परमात्मा खड़े है।*
जय श्री कृष्ण😊🙏
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