Published Nov 2, 2020
4 mins read
826 words
This blog has been marked as read.
Read more
History

Pinjar Movie 2003 , Based On A True Event

Published Nov 2, 2020
4 mins read
826 words

1947 में हुये देश के बंटवारे में हुई समस्याओं के साथ ही एक स्त्री के प्रति समाज की धारणा और एक पुरुष की इंसानियत की तसवीर सामने लाती है । इसमें सच्चा प्रेम दिखाई देता है । यह फिल्म चन्द्रप्रकाश द्विवेदी द्वारा निर्देशित है । मनोज बाजपेयी और उर्मिला मातोंडकर प्रमुख भूमिका में हैं । फिल्म की कहानी को अमृता प्रीतम के उपन्यास से लिया गया है ।

कहानी लाहौर से शूरू होती है जहाँ उर्मिला मतोंडकर ( पूरो) के पिता अपने परिवार के साथ रहते हैं पूरो का एक संबंधी भाई भी त्रिलोक ( प्रियाँसू चटर्जी) और एक बहिन रज्जो भी है ।

त्रिलोक वकालत की पढाई कर रहा होता है । पूरो बहुत ही खुशमिज़ाज और अपने परिवार की चहेती बेटी और अपने भाई की लाड़ली बहिनहै ।

पूरो के पिता उसके विवाह के लिये लड़का तलाश रहे होते हैं और इसीलिए वे अपने गाँव छ्त्त्बानी जाते हैं । पूरो का भाई त्रिलोक अपनी पढ़ाई के कारण उनके साथ नहीं आ पाता , वह पूरो से वादा करता है कि उसकी शादी से पहले वहाँ पहुँच जाएगा। वे लोग चले जाते हैं । गाँव पहुँचकर पूरो के पिता अपने भाई के साथ पूरो के लिये लड़का देखने पड़ोस के गाँव रत्तोबाल जाते हैं लड़का( रामचंद ) बहुत  ही सुशील है और उन दोनों की शादी तय हो जाती है और पुरो के भाई त्रिलोक की शादी रामचंद की बहिन लज्जो से तय हो जाती है ।

पुरो के परिवार का पुश्तैनी विवाद (मुसलमान)रशीद के परिवार से रहता है और इनके परिवार के वहाँ पहुँचने पर उनके दिल बदला लेने की ज्वाला भड़क उठती है और वे रशीद को पुरो का अपहरण करवा लेते हैं । रसीद पुरो को अपने घर में रखता है किन्तु अपने को पुरो के प्रति क्रूर नहीं बना पाता, वह पुरो  के कहने पर उससे कह देता है अब उसके घर में उसके लिए कोई जगह नहीं बची है फिर भी पुरो रात को छुपकर अपने घर भाग और बही होता है कि उसके पिता उसे अपने घर घर में जगह नहीं देते ।  रशीद परो से शादी कर लेता है और उसे कोई कष्ट नहीं होने देता और  उसे लेकर अपने दूसरे गांव चला जाता है । पुरो का भाई वहाँ पहुँचता है तो वह पुरो को ढूँढने के लिए पुलिस मे रिपोर्ट करना चाहता है पर उसके पिता उसे यह उसकी छोटी बहिन की शादी हो जाने देने के लिये हाथ जोडने लग जाते हैं। पुरो की छोटी बहिन का विवाह रामचन्द के चचेरा भाई कृपाल से हो जाता है । पुरो का उसे ढूँढ निकालने का बहुत प्रयास करता है किन्तु उसे पुरो का कोई पता नहीं चलता ।

एक बार पुरो अपनी पड़ोसन अम्मा के साथ रत्तोबाल जाती है इस आशा में कि वो एक बार रामचंद को देख पायेगी । 

यहीं पर ये गाना बजता है “ हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छूटा करते " 

छूट गये यार ना छूटी यारी मौला ,,,, 

जो कि इमोशसनल कर देता है ।

वह खेतों में में सब्जियां तोड़ने के बहाने जाती है पर वो किसी से क्या पुछे, रामचंद कौन है उसका, बो अन्तिम दिन खेत में बैठकर रोने लगती है तभी उसे रामचंद दिख जाता है , वो रामचंद से कुछ भी बोल पाने का साहस नहीं जुटा पाती । रामचंद उसे नहीं जानता है पर उसे दिल ही दिल में ये अहसास हो जाता है कि यह पुरो है । 

देश का बंटवारा होता है और हिन्दूस्तान के मुसलमानों को पाकिस्तान और पाकिस्तान के हिन्दूस्तान सरकार द्वारा भेजा जा रहा होता है । दंगाईयो ने हिन्दू -मुसलिम लड़कियों - बहुओं को जबर्दस्ती अपने घरों में अपहरण रखा था । 

रामचंद की बहिन पुरो की भाभी भी इसी बीच खो जाती है, ये बात रामचंद पुरो को एक काफिले में जिससे वह हिन्दूस्तान आ रहा होता है पुरो उससे मिलने जाती है और उसे रो-रोकर बताता है । पुरो उससे लाजो को ढूँढ निकालने के लिए विस्वास दिलाती है । 

पुरो रशीद को लेकर रत्तोबाल खेसे बेचने के बहाने जाती है और लाजो को खोज लेती है , रशीद उसे रात में छुपाकर अपने घर ले आता है । 

लाजो और पुरो मिलकर बहुत रोती हैं । रामचन्द लाजो को सरकार के सिपाहियों के साथ ढूँढने आता है और रशीद से मिलता है , रशीद उसे लाहौर में मिलाने की बात करता है । रशीद पुरो और लाजो को लेकर लाहौर पहुँच जाता है और वहाँ पुरो अपने भाई से मिलकर दोनों बहुत रोते हैं । पुरो का भाई उसे घर आने के लिए कहता है और कहता है कि रामचंद अभी भी उससे शादी करने को तैयार है , पर पुरो आने को मना कर देती है । रामचन्द उसके भाई से कहता है कि अब रशीद ही पुरो का साथी है और वे लोग हिन्दुस्तान आ जाते हैं।   ये फिल्म हमें समाज की एक स्त्री के प्रति धारणाओं के कारण पुरो पिता की मजबूरी, रामचंद की अच्छाई, रशीद के प्रेम और पुरो की भावनाओं को सामने लाती है । अगर रशीद पुरो से शादी ना करता तो उसका क्या होता।

समाज उन गुनाहों की सजा एक स्त्री को देता है जो उसने कभी नहीं किया होता । अपने परिवार के विवाद में कैसे स्त्रियों को बीच में लाकर उनके जीवन को बर्बाद करते  हैं । 

 

5
2
abubin 11/2/20, 7:42 AM
1
Great
1
anjali 11/2/20, 8:44 AM
धन्यवाद

Candlemonk | Earn By Blogging | The Bloggers Social Network | Gamified Blogging Platform

Candlemonk is a reward-driven, gamified writing and blogging platform. Blog your ideas, thoughts, knowledge and stories. Candlemonk takes your words to a bigger audience around the globe, builds a follower base for you and aids in getting the recognition and appreciation you deserve. Monetize your words and earn from your passion to write.